न्याय का सिद्धांत
ISBN:
9780190131487
Publication date:
20/06/2022
Paperback
345 pages
ISBN:
9780190131487
Publication date:
20/06/2022
Paperback
345 pages
जॉन रॉल्स and कमल नयन चौबे
यह पुस्तक बीसवीं सदी में राजनीतिक दर्शन की महानतम कृतियों में से एक है। यह पुस्तक, जिस ने राजनीतिक दर्शन में हस्तक्षेप किया और विमर्श की दिशा को बदल दिया। जिस ने मानकीय राजनीतिक दर्शन के सिद्धांतकारों को अपने सैद्धांतिकी से या तो सहमत किया या असहमत। लेकिन रॉल्स के बाद का कोई भी राजनैतिक सिद्धांतकार उनकी इस रचना की अनदेखी न कर सका। रॉल्स के बाद होने वाले राजनीतिक सैद्धांतीकरण पर इस पुस्तक का प्रभाव दिखाई पड़ता है। इस तरह से इस पुस्तक ने सैद्धांतीकरण की दुनिया में अमिट छाप छोड़ी। दुनिया की तमाम प्रमखु भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है। रॉल्स की यह पुस्तक अ थियरी ऑफ जस्टिस (न्याय का सिद्धांत )
कुल तीन भागों में विभाजित हैं . पहला भाग सैद्धांतीकरण का, दूसरा भाग संस्थाओं पर आधारित है और तीसरा भाग साध्यों को प्रस्तुत करता है। यह पुस्तक निगमनात्मक पद्धति (डिडक ्टिव मेथड )
का प्रयोग करते हुए, हर संभावित स्थितियों की जाँच पड़ताल करती है और उसके आधार पर अपने तर्क का निर्माण करती है। यह समाज के 'आख़िरी इंसान' की सकारात्मक संभावना का दृश्य पेश करती है। यह पुस्तक, मानवता के लिए एक सैद्धांतिक उपहार देने की कोशिश करती है। इस पुस्तक को जितनी प्रसिद्धि मिली है, उतनी ही आलोचना भी हुई है। एक सैद्धांतिक रचना के महत्त्वपूर्ण होने के लिए इससे ज़्यादा और क्या चाहिए?
समाज, राजनीति और सिद्धांत को समझने के लिए यह एक अनिवार्य पुस्तक है।
Rights: World Rights
जॉन रॉल्स and कमल नयन चौबे
Description
यह पुस्तक बीसवीं सदी में राजनीतिक दर्शन की महानतम कृतियों में से एक है। यह पुस्तक, जिस ने राजनीतिक दर्शन में हस्तक्षेप किया और विमर्श की दिशा को बदल दिया। जिस ने मानकीय राजनीतिक दर्शन के सिद्धांतकारों को अपने सैद्धांतिकी से या तो सहमत किया या असहमत। लेकिन रॉल्स के बाद का कोई भी राजनैतिक सिद्धांतकार उनकी इस रचना की अनदेखी न कर सका। रॉल्स के बाद होने वाले राजनीतिक सैद्धांतीकरण पर इस पुस्तक का प्रभाव दिखाई पड़ता है। इस तरह से इस पुस्तक ने सैद्धांतीकरण की दुनिया में अमिट छाप छोड़ी। दुनिया की तमाम प्रमखु भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है। रॉल्स की यह पुस्तक अ थियरी ऑफ जस्टिस (न्याय का सिद्धांत )
कुल तीन भागों में विभाजित हैं . पहला भाग सैद्धांतीकरण का, दूसरा भाग संस्थाओं पर आधारित है और तीसरा भाग साध्यों को प्रस्तुत करता है। यह पुस्तक निगमनात्मक पद्धति (डिडक ्टिव मेथड )
का प्रयोग करते हुए, हर संभावित स्थितियों की जाँच पड़ताल करती है और उसके आधार पर अपने तर्क का निर्माण करती है। यह समाज के 'आख़िरी इंसान' की सकारात्मक संभावना का दृश्य पेश करती है। यह पुस्तक, मानवता के लिए एक सैद्धांतिक उपहार देने की कोशिश करती है। इस पुस्तक को जितनी प्रसिद्धि मिली है, उतनी ही आलोचना भी हुई है। एक सैद्धांतिक रचना के महत्त्वपूर्ण होने के लिए इससे ज़्यादा और क्या चाहिए?
समाज, राजनीति और सिद्धांत को समझने के लिए यह एक अनिवार्य पुस्तक है।
जॉन रॉल्स, बीसवीं सदी के महत्त्वपूर्ण विचारक व उदारवाद के दार्शनिक. न्याय और समतावाद के प्रखर समर्थक राजनीति विज्ञानी।
कमल नयन चौबे, दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सिंह कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर, लेखक और अनुवादक।
जॉन रॉल्स and कमल नयन चौबे
जॉन रॉल्स and कमल नयन चौबे
Description
यह पुस्तक बीसवीं सदी में राजनीतिक दर्शन की महानतम कृतियों में से एक है। यह पुस्तक, जिस ने राजनीतिक दर्शन में हस्तक्षेप किया और विमर्श की दिशा को बदल दिया। जिस ने मानकीय राजनीतिक दर्शन के सिद्धांतकारों को अपने सैद्धांतिकी से या तो सहमत किया या असहमत। लेकिन रॉल्स के बाद का कोई भी राजनैतिक सिद्धांतकार उनकी इस रचना की अनदेखी न कर सका। रॉल्स के बाद होने वाले राजनीतिक सैद्धांतीकरण पर इस पुस्तक का प्रभाव दिखाई पड़ता है। इस तरह से इस पुस्तक ने सैद्धांतीकरण की दुनिया में अमिट छाप छोड़ी। दुनिया की तमाम प्रमखु भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है। रॉल्स की यह पुस्तक अ थियरी ऑफ जस्टिस (न्याय का सिद्धांत )
कुल तीन भागों में विभाजित हैं . पहला भाग सैद्धांतीकरण का, दूसरा भाग संस्थाओं पर आधारित है और तीसरा भाग साध्यों को प्रस्तुत करता है। यह पुस्तक निगमनात्मक पद्धति (डिडक ्टिव मेथड )
का प्रयोग करते हुए, हर संभावित स्थितियों की जाँच पड़ताल करती है और उसके आधार पर अपने तर्क का निर्माण करती है। यह समाज के 'आख़िरी इंसान' की सकारात्मक संभावना का दृश्य पेश करती है। यह पुस्तक, मानवता के लिए एक सैद्धांतिक उपहार देने की कोशिश करती है। इस पुस्तक को जितनी प्रसिद्धि मिली है, उतनी ही आलोचना भी हुई है। एक सैद्धांतिक रचना के महत्त्वपूर्ण होने के लिए इससे ज़्यादा और क्या चाहिए?
समाज, राजनीति और सिद्धांत को समझने के लिए यह एक अनिवार्य पुस्तक है।
जॉन रॉल्स, बीसवीं सदी के महत्त्वपूर्ण विचारक व उदारवाद के दार्शनिक. न्याय और समतावाद के प्रखर समर्थक राजनीति विज्ञानी।
कमल नयन चौबे, दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सिंह कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर, लेखक और अनुवादक।
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